Green technology in hindi : जहां पर जीवाश्म ईंधन से निर्मित ऊर्जा से ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होने लगीं, वहीं दूसरी ओर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से उन गैसों को नियंत्रित करने में मदद मिली। कई सारी तकनीकें निर्मित हुईं जो पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए कारगर साबित हुई। तो आज हम जानते हैं की किन तरीकों से ग्रीन टेक्नोलॉजी हमारे और पर्यावरण के लिए मदद करती है।
Green technology क्या है?
Green technology को हिंदी में हरित प्रौद्योगिकी कहाँ जाता है। ग्रीन टेक्नोलॉजी पर्यावरण में पाए जाने वाले संसाधनों की सुरक्षा के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग करके पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण को कम करने में सहायता मिलती है। आज के समय में ज्यादातर ऊर्जा जैविक ईंधन का उपयोग करके निर्मित होती है,उसको कम करके सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा का उपयोग करना मतलब green technology कहां जाता है। जो इंसानों समेत पर्यावरण में पाए जाने वाले जीवों को कम नुकसान पहुंचाता है।
Green energy के प्रमुख स्रोत कौनसे हैं?
सौर ऊर्जा
सौर ऊर्जा में सूर्य की किरणों का उपयोग करके ऊर्जा की निर्मिती होती है। 2023 के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी 5.5% है। हर साल इसका आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। इसका उपयोग पानी को गरम करने केलिए, बिजली के उत्पादन के लिए और खाना बनाने के लिए किया जाता है। हालांकि इसके साथ कई प्रयोग भी किए जाते हैं। जिसके माध्यम से कई तरह की मशीनों, गाड़ियां और अलग-अलग तरह के विद्युत उपकरणों को चलाया जाता है। हर साल टेक्नोलॉजी में सुधार होते जा रहा है जिसकी वजह से सौर पैनल्स बनाने की लागत में कमी आ रही है और उपयोग भी बढ़ रहा है।
पवन ऊर्जा
पवन ऊर्जा का निर्माण हवा से होता है। जिसमें kinetic energy को mechanical energy में बदला जाता है और बाद में mechanical energy को electrical energy में बदलकर उसका उपयोग संसाधनों को चलाने के लिए किया जाता है । दुनिया में लगभग 8% बिजली का उत्पादन पवन ऊर्जा होता है। पवन टर्बाइड 150 मीटर तक लंबे होते हैं । इसको स्थापित करने की लागत बहुत ज्यादा आती है। उसके साथ रोजगार के अवसर भी निर्माण होते हैं। नई तकनीक के साथ पवन टरबाइन को अगर तीव्र हवाओं का सामना करें करना पड़े तो वह अपने आप रुक जाती है।
जल ऊर्जा
जल ऊर्जा को हिंदी में हाइड्रोइलेक्ट्रिक ऊर्जा कहते हैं। जहां पर जल संसाधन अधिक मात्रा में उपलब्ध हो, वहां पर पानी का उपयोग करके बिजली निर्माण होती है। इसके शुरुआती तौर पर अधिक निवेश की आवश्यकता होती है। उसके बाद यह कई सालों तक बिजली का उत्पादन ले सकता है। दुनिया भर में 16% ऊर्जा जल के माध्यम से तैयार होती है।जो अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तुलना में सबसे अधिक है।
जैव ऊर्जा
खेत,घर, उद्योग, वनस्पति से निकलने वाले जैविक कचरे का उपयोग करके बायोगैस तैयार की जाती है। जिसमें पशुओं का गोबर, सब्जियों के छिलके, बचा हुआ खाना, उद्योग से निकलने वाला जैविक कचरा शामिल है। भारत में देखा जाए तो बायोगैस का उपयोग ग्रामीण इलाकों में बहुत ज्यादा हो रहा है। सरकार की परियोजनाओं के माध्यम से उपयोगकर्ता को सब्सिडी प्रदान कर रही है। भारत के ग्रामीण इलाकों में खाना बनाने के लिए लकड़ी को जलाने की जगह पर बायोगैस का उपयोग किया जा रहा है। यह वैश्विक ऊर्जा में 6% का योगदान देता है।
इन सभी के साथ भूतापीय ऊर्जा(geothermal energy),नवीकरणीय हाइड्रोजन, ऊर्जा कुशल उत्पादन,ग्रीन बिल्डिंग टेक्नोलॉजी, वस्त्र और सामग्री शामिल है। दुनिया में कोयले से निर्मित बिजली का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। जिसका लगभग 36% हिस्सा है। लेकिन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के साथ ग्रीनहाउस गैसेस का उत्सर्जन कम मात्रा में होता है।
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ग्रीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने से ग्रीनहाउस गैसेस का उत्सर्जन कम होता है । इसके उपयोग के कारण प्रदूषण में कमी आती है। प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करके नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से ऊर्जा का उपयोग करना। अगर आर्थिक लाभ की बात की जाए तो रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं। जो सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा को बसाने, ठीक करने जैसी सुविधायें देने से तैयार होते हैं। यह ऊर्जा स्रोत दीर्घकालीन दृष्टि से देखा जाए तो कम लागत लगतीं है। ग्रीन टेक्नोलॉजी में के लाभ के बारे में शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
green building technique क्या हैं?
green building technique को हिंदी में हरित भवन तकनीक कहा जाता है। इसमें ऐसी कुशल उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जिससे ऊर्जा की खपत को कम कर सके। जो सौर ऊर्जा के माध्यम से चलते हैं। पानी को बचाने के लिए ऐसी पाइपलाइन का उपयोग किया जाताहै,जिससे पानी कम आता हो या जरूरत के हिसाब से आता हो। इमारत में रीसायकल किए गए उत्पादों का उपयोग। इमारत का ऐसा निर्माण किया जाता है। जिससे प्राकृतिक प्रकाश ठीक-ठाक मात्रा में आता है। बालकनी, छत पर अलग-अलग तरह के पौधों को लगाना और अलग-अलग तरह की कचरे का प्रबंध भी अच्छी तरह से किया जाता है।
कृषि में green technology का योगदान कैसे होता है?
सस्टेनेबल एग्रीकल्चर ग्रीन टेक्नोलॉजी के आधार पर ही बनी है।कृषि में हरित प्रौद्योगिकी का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह तकनीकें न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं, बल्कि किसानों की उत्पादकता और आय में भी वृद्धि करती हैं। सटीक खेती, नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग, जल संरक्षण तकनीकें, जैविक खेती, वर्टिकल फार्मिंग, बायोटेक्नोलॉजी, और कचरा प्रबंधन जैसी green technology कृषि को अधिक स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल बनाती हैं। इन तकनीकों के माध्यम से संसाधनों का कुशल उपयोग होता है और प्रदूषण में कमी आती है। इसके अलावा, ये तकनीकें किसानों को आधुनिक और टिकाऊ खेती के तरीकों से परिचित कराती हैं, जिससे उनकी फसल उत्पादन क्षमता में सुधार होता है।नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने से किसानों के खर्चे कम हो रहें।
Green technology से कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति आ रही है, जो भविष्य में खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी।जलवायु परिवर्तन से निपटने में हरित प्रौद्योगिकी की भूमिका अहम है।
green technology की भविष्य में क्या संभावनाएँ हैं?
ग्रीन टेक्नोलॉजी हमारा भविष्य है आगे चलकर हमें कई सारी समस्याओं का सामना करना होगा जो जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हुई है अगर जलवायु परिवर्तन को कम करना है तो सबसे पहले हमें ग्रीन टेक्नोलॉजी को अपनाना होगा हमें अपने आप को पुराने संसाधनों से बदलकर नए संसाधनों पर आना होगा।वैश्विक स्तर पर green technology और स्थिरता बाजार 2024 में 28.6 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 134.9 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 29.5 प्रतिशत की मजबूत CAGR(Compound annual growth rate) को दर्शाता है।इस भविष्य में इस बड़े बाजार को देखते हुए सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियां अपने निवेश के मूल्य को बढ़ा रही है। ज्यादातर निवेश इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर किया जा रहा है। उम्मीद है भविष्य में हर एक ऊर्जा स्रोत पर्यावरण के लिए अनुकूल होगा।
समाज में green technology के प्रति जागरूकता कैसे बढ़ाई जा सकती है?
आज पूरी दुनिया को ग्रीन टेक्नोलॉजी अपनाने के लिए आगे आना होगा। उसके लिए इस विषय के बारे में हर जानकारी हर व्यक्ति तक पहुंचाने की आवश्यक है। जिसकी माध्यम से लोग जागरूक हो सकेंगे। आज पर्यावरण में बहुत बड़ा बदलाव हो रहा है। बे मौसम बारिश, अत्यधिक गर्मी इससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ा हुआ है। लेकिन जिस प्रकार की जागरूकता लोगों में होनी चाहिए वह नहीं दिख रही है।
हर किसान, विद्यार्थी तक इस बात को बहुत ही साफ तौर पर प्रदर्शित करना होगा। उन्हें समझना होगा कि ग्रीन टेक्नोलॉजी हमें कैसे जलवायु परिवर्तन से छुटकारा देने में सहायता कर सकती है ग्रामीण इलाकों में सरकार के द्वारा अलग-अलग परियोजनाएं लेकर जाना होगा। जिसके माध्यम से इसको आसानी से अपना सकेंगे। जिन लोगों ने ग्रीन टेक्नोलॉजी को अपनाया है उनको सोशल मीडिया के माध्यम से और लोगों तक इसकी पहुंच बढ़ानी होगी। सार्वजनिक कार्यक्रमों में विशेषज्ञों को बुलाकर ग्रीन टेक्नोलॉजी की क्या फायदे हैं, उसका विश्लेषण सरलता से करना होगा। जिससे आम नागरिक भी आसानी से समझ जाए।
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