Sustainable agriculture in hindi|

Sustainable agriculture in hindi : आज विज्ञान इतना आगे बढ़ चुका है, फिर भी कृषि में उसका सही से उपयोग न होने के कारण किसानों की आय में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। ज्यादातर किसानों को खेती करने का सही तरीका ही मालूम नहीं है। जिसकी वजह से वे कई तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। तो आज हम बात करेंगे सस्टेनेबल एग्रीकल्चर की जो पर्यावरण का संरक्षण करते हुए की जाने वाली खेती है। इसमें आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके फसलों की उत्पादकता बढ़ाई जाती है। सस्टेनेबल एग्रीकल्चर से ग्रीन हाउस गैसेस उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है।

Sustainable agriculture क्या होता है?

सस्टेनेबल एग्रीकल्चर को हिंदी में सतत खेती कहा जाता है। तो Sustainable agriculture में पर्यावरण, समाज एवं अर्थव्यवस्था के बीच में संतुलन बनाए रखना है।इसका उद्देश्य दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है। सस्टेनेबल एग्रीकल्चर में पारंपरिक ज्ञान और स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके खेती को और टिकाऊ बनाया जाता है।

सतत कृषि के कौन-कौन से प्रमुख घटक होते हैं?

यदि आप सस्टेनेबल एग्रीकल्चर की ओर रुख कर रहे हैं, तो आपको कुछ प्रमुख सिद्धांतों का पालन करना ही होगा।

Sustainable agriculture in hindi|

मिट्टी का संरक्षण

फसलों की उत्पादकता मिट्टी पर ज्यादातर निर्भर होती है अगर मिट्टी ही खराब हो तो अच्छी फसल की अपेक्षा करना आसान नहीं होगा। आज के समय में पूरी दुनिया भर में हानिकारक रसायनों का प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है। जब इन रसायनों का निर्माण हुआ था, पहली बार उसे उपयोग में लाया जा रहा था तब वह बड़ा कारगर साबित हुआ। लेकिन आज की बात करें तो मिट्टी इतनी कमजोर हो चुकी है कि फसलों का उत्पादन नहीं बढ़ रहा है। मिट्टी का स्वास्थ्य अगर ठीक रखना है।तो जैविक खाद,हरी खाद और कंपोस्ट का इस्तेमाल ज्यादा करना होगा। फसल चक्रण (अपने खेत में अलग‌-अलग फसलों का उत्पादन लेना होगा) कुछ समय के लिए फसलों का उत्पादन न लेना यह भी मिट्टी के लिए उपयुक्त होता है।

जल संरक्षण

आवश्यकता के अनुसार फसलों को पाणी प्राप्त होना चाहिए।
जल स्रोतों को चलाने के लिए जिस ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसके लिए सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए। पारंपरिक ऊर्जा स्रोत एक विकल्प के तौर पर हमारे पास होने चाहिए। जिन क्षेत्रों में सूर्य की तीव्रता ज्यादा हो वहां पर ऊर्जा का उपयोग हमें सूर्य से आने वाली किरणों से करना होगा।
जल से संबंधित कई समस्याओं से बचने के लिए जल प्रबंधन की उचित तकनीकों का उपयोग करना आवश्यक है, जैसे कि ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर सिस्टम, और जल संरक्षण के अन्य उपाय।

रसायनों का कम उपयोग

हमें हमारी खेती में धीरे-धीरे हानिकारक रसायनों का उपयोग कम करके जैविक रसायनों का का स्तर बढ़ाना होगा। हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल बढ़ने की वजह से कई सारे परागकण(pollination) करने वाले कीड़ों का अस्तित्व धोखे में आ गया है। कई सारी जगहों पर फसलों की उत्पादकता में काफी कमी आ चुकी है। लंबे समय के लिए यह रसायन मिट्टी और हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। हानिकारक रसायनों का उपयोग करके जिन सब्जियों का और फलों का उत्पादन हम लेते हैं, लंबे समय में यह हमारे शरीर में कैंसर को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। जो हमारे और प्रकृति के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है।

जैव विविधता का संरक्षण

आज कई सारे देशों में देखा जाए तो खेतों में पेड़ों की संख्या काफी कम हो चुकी है। पेड़ों के माध्यम से मिट्टी का अपरदन(erosion) कम हो जाता है । स्थानीय पशु और पक्षियों को एक आवास प्रदान होता है। जिसकी वजह से उन्हें संरक्षण मिल जाता है। मधुमक्खियों और अन्य परागणकर्ताओं का संरक्षण करने से फसलों की उत्पादकता बढ़ती है और जैवविविधता को बढ़ावा मिलता है।

शिक्षा और जागरूकता

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शिक्षा और जागरूकता हर क्षेत्र में होनी ही चाहिए। जिसके अभाव के कारण पर्यावरण में विनाश छाया है। कई सारे किसानों को जैविक खेती या उनके परिणामों के बारे में जानकारी नहीं है। बाजार में उपलब्ध हानिकारक रसायन के प्रभाव से ज्यादातर किसान उस तरफ आकर्षित होते है। जिसका कम समय में उत्पादकता बढ़ाने के लिए उपयोग होता है। जिसका परिणाम भविष्य में किसानों को संकट में डाल रहा है।

यदि हम सस्टेनेबल एग्रीकल्चर या जैविक खेती के बारे में सही जानकारी प्राप्त करके जमीनी स्तर पर उतारा जाए तो पर्यावरण और इंसान के बंधन को और मजबूत कर सकता है।

यदि हम इस तरीके की खेती(सतत खेती)का प्रबंध कर पाते हैं, तो एक समाज में और पर्यावरण में संतुलन साधा जा सकता है। जो कई सारी कीडों की विलुप्त होती प्रजातियों को बचा सकता है, भोजन में उपयोगी फल और सब्जियां एवं फसलों के द्वारा उत्तम स्वास्थ्य का निर्माण किया जा सकता है। जिसकी आपूर्ति के लिए छोटे क्षेत्र में खेती के तौर पर रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं।

सतत कृषि के लिए कौन सी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है?

सटीक खेती (Precision Farming)

इसमें जीपीएस, ड्रोन, और सेंसर का उपयोग करके फसलों की निगरानी और प्रबंधन किया जाता है। छोटी किसान छोटे स्तर पर यह चीज करते हैं। जहां पर वे कई तरह के प्रयोग भी कर सकते हैं। Precision Farming में पानी, उर्वरक और कीटनाशकों का सटीक उपयोग होता है, जिससे कचरा और पर्यावरणीय प्रभाव भी कम होता है।

Agroforestry

इस तकनीक में पेड़ों, झाड़ियों और फसलों को एक साथ उगाया जाता है। यह जैव विविधता को बढ़ावा देता है और मिट्टी की उर्वरता में सुधार करता है। जैविक खेती में भी इसका उपयोग होता है। जैविक खेती की मूल बात ही इस पर आधारित है।

Agroforestry को हिंदी में कृषि वानिकी कहा जाता है। एग्रोफोरेस्ट्री से किसान कई प्रकार की फसलें और पेड़ों से लकड़ी, फल, मसाले आदि प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी आती है और जोखिम कम होता है।

हाइड्रोपोनिक्स और एक्वापोनिक्स

Sustainable agriculture in hindi

यह तकनीकें बिना मिट्टी के पौधों को उगाने के काम आती हैं। हाइड्रोपोनिक्स में पौधों को पोषक तत्वों से भरपूर पानी में उगाया जाता है, इसमें पीवीसी पाइप का इस्तेमाल करके कई तरह की सब्ज़ीयों का उत्पादन लिया जा सकता है। पौधों की जड़ों को सीधे पोषण तत्वों की पूर्ति होने के कारण वह जल्दी से बड़े होते हैं। पौधों की जो को कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम नाइट्रोजन दिया जाता है ।कम जगह के साथ हाइड्रोपोनिक्स को शहरों में किया जा रहा है। जबकि एक्वापोनिक्स में मछलियों और पौधों को एक साथ उगाया जाता है।

डिजिटल मार्केटिंग और डेटा प्रबंधन

आधुनिक तकनीकें किसानों को अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँचाने में मदद करती हैं। डेटा प्रबंधन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का उपयोग करके किसान अपनी फसलों की स्थिति और बाजार की मांग को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।

इसी के साथ जल स्रोतों से पानी निकालने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग, पवन ऊर्जा, बायोगैस से ऊर्जा लेना, फसल की कटाई, खरपतवार को निकालने के लिए, इंटरक्रॉपिंग (जिसमें अलग-अलग तरह के फसलों का उत्पादन लिया जाता है), समय-समय पर मिट्टी का स्वास्थ्य जांचना, नई तकनीकों द्वारा कचरे का प्रबंध ऐसी अनेक आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करके इस खेती को किया जाता है।

ये तकनीकें न केवल कृषि की उत्पादकता बढ़ाती हैं बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता को भी सुनिश्चित करती हैं।

सतत कृषि के माध्यम से किसानों की आय कैसे बढ़ाई जा सकती है?

आज के कृषि क्षेत्र में हानिकारक रसायनों का उपयोग बहुत ही ज्यादा किया जाता है। जिससे कई सारी बीमारियों का प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। यदि हम जैविक खेती करके जैविक उत्पादन का विचार करें तो यह किसानों के लिए बहुत ही अच्छी आय कमाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। जैविक खेती से उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ जाती है जिससे उसे उच्च दामों में बेचा जा सकता है। जैविक उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं को बेच सकते हैं। जिससे कमीशन बच जाता है। इस खेती के लिए किसान को सरकारी परियोजनाएं और subsidy मिल जाती है। यदि जैव विविधता का संरक्षण करके खेतों में पर्यावरण आवश्यक वातावरण तैयार किया जाए तो पर्यटन एक आय का विकल्प हो सकता है।

जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में sustainable agriculture की भूमिका क्या है?

सस्टेनेबल एग्रीकल्चर में ग्रीनहाउस गैसेस का उत्सर्जन कम होता है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग और जैव विविधता के आधार पर बनी यह खेती जलवायु परिवर्तन में योगदान देती है। इंसानों की जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण खेती करने के लिए जमीन की आवश्यकता बढ़ रही है। अगर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर को बढ़ावा दिया जाए तो कम जगह में अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। खेती करने के लिए जंगलों की कटाई की गई। जिससे जलवायु परिवर्तन में बड़ा बदलाव आ चुका है। मौसम में बदलाव उत्पादन कम करने के काम आ रहा है। खेती जैव विविधता को बस कर ही की जाए तो हमारे लिए फायदेमंद साबित होगी।

( जलवायु परिवर्तन को देखा जाए तो वह कृषी से ज्यादा अन्य क्षेत्रों से बहुत आता है जैसे उद्योग, परिवहन, वनों की कटाई, घरेलू गतिविधियां)

क्या सतत कृषि से फसल उत्पादन में वृद्धि हो सकती है?

Sustainable agriculture in hindi

हाँ। सस्टेनेबल एग्रीकल्चर से मिट्टी की उत्पादन क्षमता बढ़ती है, ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर सिस्टम से पाणी का सही उपयोग किया जाता है, रासायनिक कीटनाशक की और खाद का कम उपयोग होने से पैसे की बचत भी होती है।

क्या सतत कृषि से लागत कम हो सकती है?

Sustainable agriculture in hindi


हाँ। सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एग्रीकल्चर में शुरुआती तौर पर देखा जाए तो थोड़ा ज्यादा निवेश लग सकता है। लेकिन दीर्घकालीन दृष्टिकोण से देखा जाए तो इसके कई फायदे हैं। इसमें एक बार निवेश किया तो आने वाले सालों में कम पैसों में काम हो सकता है

सतत कृषि को अपनाने में कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं?

सस्टेनेबल एग्रीकल्चर में प्राथमिक निवेश करना होता है। किसानों में खेती के इस पद्धतियों के बारे में जानकारी की कमी है। जलवायु परिवर्तन सभी देशों की समस्या बन गई है, जिसके कारण फसल की उत्पादकता में कमी आ रही है। कई देशों में सरकार की नीतियां चुनौती के तौर पर सामने खड़ी है। शिक्षा और जागरूकता अच्छाई के हर क्षेत्र में मौजूद होनी चाहिए।

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