delhi air pollution news|दिल्ली रहने लायक नहीं बची।

Delhi air pollution news : सर्दियों के दिनों में दिल्ली वायु प्रदूषण के मामले में पूरी दुनिया में छा जाती है। कोहरे को देखते हुए कई फ्लाइट्स को डायवर्ट किया गया।इसी के साथ रास्ते पर चलते वाहनों को भी परेशानी आ रही है। वायु प्रदूषण में सुधार नहीं आ रहा है। दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 से अधिक हो गया है।
बुधवार को दिल्ली का AQI 418 था।आज ओखला विभाग में AQI 581 दर्ज हुआ है। आपको बता दी की ओखला विभाग में कई सारी इंडस्ट्रीज मौजूद है। दिल्ली के कई इलाकों में AQI 450 से अधिक है। प्रदूषण में लपटी दिल्ली गंभीर श्रेणी में शामिल है। जहांगीरपुरी में एक यूआई 567 दर्ज हुआ है। कल तो दिल्ली में दिन भर धुंध ही छाई हुई थी। अब ऐसा लगता है कि दिल्ली रहने लायक नहीं बची है।

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13 नवंबर का एयर क्वालिटी इंडेक्स जिसमें कई राज्यों के शहर मौजूद है।
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दिल्ली में रहने से कौन-कौनसी बीमारियां होने की संभावना है ?


दिल्ली में बढ़ता वायु प्रदूषण दिल की बीमारियां, सांस संबंधित समस्याएं आंखों और त्वचा में जलन जैसी समस्याओं को बढ़ा रहा है। वायु प्रदूषण में मौजूद सूक्ष्म मकान जो PM 2.5 और PM10 है। वह फेफड़ों में जाकर अस्थमा और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। पीएम 2.5 बहुत ही छोटे कण होते हैं। जो ईंधन जलाने, कंस्ट्रक्शन गतिविधियों से निकलते है। सल्फर डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैस आंखों में जलन एवं खुजली का काम करती है। आज दिल्ली के हर व्यक्ति की आयु लगभग 12 साल से कम हो चुकी है। खासकर बच्चों में और बुजुर्गों में सांस लेने की दिक्कत बढ़ती जा रही है। यह हालत दिल्ली में मौजूद लोगों की है। यह दिल्ली के हर व्यक्ति की कहानी है।

वायु प्रदूषण का पशु, पक्षियों पर क्या असर हो रहा है ?

यहां तो हमने उन पक्षियों का उन पशुओं का विचार ही नहीं किया कि उनके स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता होगा ? आज लोग अपने देश के विकास में, अपनी नई संशोधन में अपनी टेक्नोलॉजी में इतनी व्यस्त है कि वह उनके परिणामों के बारे में विचार ही नहीं करते। 500 से अधिक एक आए पर जिन जिस इंसान की इतनी बत्तर हालात होती है इस स्टार के प्रदूषण पर उन पशुओं की क्या हालत होती होगी दिल्ली के आसपास जो जैव विविधता बसी है उसे पर क्या परिणाम पड़ता होगा कभी हमने इस पर विचार ही नहीं किया है ? आज इंसान बीमार पड़ जाए तो कई तरीके है उसे बीमारी को ठीक करने के। लेकिन जब कोई पशु पक्षी त्वचा संबंधित विकार, आंखों की जलन से परेशान हो तो उसकी सहायता कौन करेगा ? हमें अपने जीवन की पहेलियां को समझना होगा। किस तरीके से हमें सत्य से वंचित रखा जाता है या यूं कहे कि हम वंचित रह जाते हैं। हमें प्रकृति के पहलुओं को समझना होगा। यदि हम प्रकृति से प्रेम भाव रखेंगे तभी हम समझ में भी प्रेम भाव रखने की कल्पना कर सकते हैं।

प्रदूषण पर दिल्ली की जनता क्या विचार करती है?

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भारत में ज्यादातर समस्याओं की जड़ जनता, शिक्षा प्रणाली और सरकार है। अगर कोई पर्यावरणीय समस्या निर्माण होती है तो जनता सरकार की ओर देखती है। इस समस्या का सरकार को ही इस समस्या का हल ढूंढना होगा ऐसा वह सोचती है। इसी का नतीजा यह होता है कि यह समस्या कई सालों तक सुलझाई नहीं जाती या सुलझ नहीं जाती। आप कई तरीके से देख सकते हैं। प्रकृति के ऊपर दबाव लाना यानी कि अपने आप पर दबाव लाना। पर्यावरण में जो छोड़ोगे किसी न किसी तरीके से पर्यावरण वही आपको देता रहेगा जैसे आज दिल्ली के लोग पर्यावरण को धुआं दे रहे हैं और दूसरी तरफ से वही लोग धुएं को पी रहे हैं। जनता में पर्यावरण की समस्याओं को लेकर जानकारी का अभाव है। प्रदूषण पर दिल्ली की जनता का विचार जानना है तो हमें कुछ आंकड़े देखनी होंगे।

2023 में नए रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या देखें तो 6.5 लाख से अधिक गाड़ियां दिल्ली में बिकी है। इसका मतलब हर 2 दिन में करीब 3565 गाड़ियों की बिक्री हुई है आंकड़े देखे जाए तो यह 5 सालों के मुकाबले सबसे ज्यादा है।

प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है ?

प्रदूषण दिल्ली में वायु प्रदूषण हर साल बढ़ता ही है और सरकार द्वारा खास कदम उठे नहीं गए हैं। दिल्ली में स्थित आम आदमी पार्टी की सरकार इस मामले को सुलझाने में नाकाम हो गई है। कई बार तो हमें देखने को मिलता है कि दो राज्यों की सरकार ही आपस में बढ़ती रहती है कि प्रदूषण किसकी वजह से ज्यादा हुआ है। यदि वास्तव में देखा जाए तो दिल्ली विस्तार जनसंख्या और वेस्ट इसका किसी भी तरीके से व्यवस्थापन नहीं है। जिसकी वजह से यमुना का जल प्रदूषण हो या वातावरण में थोड़ी जाने वाली जहरीली गैसें हो, किसी भी तरीके का असर दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए नहीं दिख रहा है। हर साल एक ए अधिक होता है तो स्कूलों को छुट्टियां दी जाती है लेकिन वाहनों पर रोक नहीं लगता।

दिल्ली की वायु प्रदूषण का हाल उसी से हो सकता है जिसकी हमने कल्पना नहीं की है। यदि पूरी दिल्ली को स्वस्थ रखना है तो वाहनों को शहर से बाहर ले जाना होगा। आज दिल्ली के वाहनों की वायु प्रदूषण में 40% हिस्सेदारी है। शहर में सार्वजनिक वाहनों की संख्या बढ़ाकर लोगों की आवागमन के लिए उपलब्ध कराना होगा। उद्योगों पर कड़क निगरानी रखनी होगी जिससे वह अनुमानित मानकों के ऊपर न जा सके।

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