How mental health treated by nature : इंसान का और प्रकृति का संबंध मां और बेटे जैसा है इंसान की उत्पत्ति इस प्रकृति के माध्यम से ही हुई है । WHO की माने तो दुनिया में चार में से एक आदमी मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित है। हालांकि इसका एक सटीक आंकड़ा बताया नहीं जा सकता । क्योंकि हर व्यक्ति अपने जीवन के किसी न किसी समय काल में मानसिक तनाव से जूझ रहा होता है। मानसिक समस्याओं से परेशान होता ही है। आज के समय में मानसिक स्वास्थ्य कहीं ज्यादा बढ़ चुका है।
मानसिक स्वास्थ्य क्या होता है?
हमारी मानसिक स्थिति का स्थिर और सकारात्मक होना है।
मानसिक स्वास्थ्य खराब है तो
1.अगर मानसिक स्वास्थ्य खराब है तो वह हमारे सोचने समझने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीकों को प्रभावित कर सकता है। जिसमें ज्यादा खुशी, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, किसी भी विषय के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचना ऐसे मुद्दे आते हैं।
2.किसी चीज की लत (अनावश्यक चीजों को ज्यादा मात्रा में ग्रहण करना)
3 अगर हमारा मानसिक स्वास्थ्य अच्छा नहीं है तो यह हमारे सोचने, सीखने, और निर्णय लेने की क्षमता को कमजोर करता है।
4.इसमें ध्यान, स्मरण शक्ति, और समस्या समाधान शामिल हैं।
5.यह हमारे सामाजिक संबंधों और अन्य लोगों के साथ बातचीत करने की क्षमता को दर्शाता है। इसमें सहानुभूति, सहयोग शामिल हैं।
6.खराब मानसिक स्वास्थ्य शरीर के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है।
7.अधिक अकेलापन जो कुछ लोगों को तनाव में ला सकता है।
8.अगर मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो वह हर एक चीज पर प्रभाव डाल सकता है जिसकी हम ख्वाहिश रखते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य ठीक है तो
1.मानसिक स्वास्थ्य ठीक है तो वह हमारे जीवन की गुणवत्ता एवं जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद करता है।
2.अच्छा मानसिक स्वास्थ्य हमारे संबंधों को मजबूत करता है और हमें दूसरों के साथ बेहतर तरीके से जुड़ने में मदद करता है।
3.अच्छा मानसिक स्वास्थ्य हमारे कार्य उत्पादकता और प्रदर्शन को बढाता है।
4.इसी के साथ वह हमारे जीवन के हर एक विषय में संतुलन बनाए रखता है।
मानसिक स्वास्थ्य खराब होने की कई सारे कारण है लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि पर्यावरण के साथ खास नाता बनाकर कैसे हम अपने मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने में मदद कर सकते हैं।
Table of Contents
किन क्षेत्रों में ज्यादातर लोगों का मानसिक स्वास्थ्य खराब रहता है?
ज्यादा आबादी वाले क्षेत्र
दुनिया में ज्यादातर आबादी शहरों में पाई जाती है। शहरों में पाई जाने वाली भीड़, प्रदूषण, हर तरफ वाहनों की आवाज इन इनका असर शरीर के स्वास्थ्य पर पड़ता है। जिससे मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ जाता है ज्यादातर उद्योग शहरों में पाए जाते हैं लोगों के अंदर प्रतिस्पर्धा की भावना भी मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है। ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्र में मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है।
प्राकृतिक आपदाएं वाले क्षेत्र
जिन क्षेत्रों में ज्यादा बाढ़, गर्मी, सुखापन आता है उन क्षेत्रों के लोग सुरक्षा स्वास्थ्य और आवास को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित रहते हैं।
संघर्ष या युद्ध जैसे हालात में
जिस क्षेत्र में युद्ध चल रहा हो जहां पर बहुत सारे लोगों की मौत हो जाए वहां पर लोग अपने प्राण को लेकर चिंतित रहते हैं। जो लोग अपने लक्ष्य के प्रति के लिए संघर्ष कर रहे हैं कभी-कभी वह भी मानसिक स्वास्थ्य के तौर पर चिंतित रहते हैं।
( प्रकृति क्या है? यहां पर प्रकृति का मतलब है पर्यावरण जिसमें नदी, पहाड़, जंगल, खेत, पार्क शामिल है। आसान भाषा में कहां जाए तो जहां पर हरियाली और पक्षी, जानवर मौजूद हो )
प्रकृति में समय बिताने से मानसिक स्वास्थ्य कैसे बेहतर होता है?
एक उदाहरण से आप समझिएगा की एक आदमी है। वह दिन रात मशीन की तरह काम करता है। सुबह ऑफिस जाता है, शाम को लौट आता है। हर दिन उसके एक-दो घंटे घर से ऑफिस तक की यात्रा करने में जातें है। जिसमें वाहनों की आवाज ही उस व्यक्ति के कानों पर पड़ती है। ऑफिस से आने के बाद भी कई बार थके हुए शरीर को एक शांति चाहिए होती है। यदि घर में कोई चिंता की बात है,तो मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता ही पड़ता है। यदि कोई मानसिक स्वास्थ्य में संतुलित बनाए रखने में नाकाम हो जाता है, तो उसे कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। प्रकृति की बात की जाए तो समय का अनुभव होता है। आमतौर पर भाग दौड़ की जिंदगी में समय किस तरह निकल जाता है पता भी नहीं रहता। जो छुट्टी के दिन होते हैं उन दिनों में यह व्यक्ति शांति की खोज में पहाडों पर निकल जाता है।
पहाड़ों पर जाकर बादलों को देख वह व्यक्ति साइकलिंग करता है। साइकिल चलते-चलते वह व्यक्ति एक ऐसे स्थान पर रुक जाता है, जहां से उसे कुछ पशु दिखाई देते हैं। उसे भूख से पीड़ित, खाने की तलाश में कुछ बंदर दिखाई देते हैं। वह व्यक्ति सोचने लगता है, उसके मन में कई तरह के सवाल आते हैं। दिनभर में जिन कठिनाइयों का सामना उस व्यक्ति को करना पड़ता है, उन सारी कठिनाइयों को वह याद करता है। सामने जो बंदरों की स्थिति उसे दिखाई दे रही है उससे वह अपनी समस्याओं से तुलना करता है। तो वह व्यक्ति समझ जाता है कि उसकी जो समस्या है वास्तव में वह समस्या है ही नहीं। जिन कारणों की वजह से उसका मानसिक स्वास्थ्य हमेशा बिगड़ा रहता था,वह हमेशा चिंतित रहता था। उसके बाद वह व्यक्ति छुट्टी के दिन उन पहाड़ों पर आता, पहाड़ों से दिखने वाली मनमोहक दृश्यों का आनंद उठाता है और कुछ बंदरों के लिए साथ में खाना भी लाता है।
आज के समय में ज्यादातर शहरी क्षेत्रों में इंसानों का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। ना शांति मिल पा रही है ना सुख मिल पा रहा है। हालांकि इसके पीछे जनसंख्या में वृद्धि, रोजगार न मिलाना, आहार में बदलाव, ऐसे काम करना जिनमें शारीरिक गतिविधियां कम हो जिससे मानसिक तनाव का निर्माण होता है। ऐसे कई कारण है। जो इंसान के जीवनशैली को बदल रहा है।
यदि हम समय-समय पर नदिया, पहाड़ों, जंगलों को घूम आए , कई तरह के पक्षियों को देखें, उनके आवाजों को सुन जानवरों से मैत्री करने का भाव रखें, पेड़ों की छाया में रहे, पेड़ों के फल तोड़कर खाये, झरनों को देखें तो उसका मानसिक स्वास्थ्य संतुलंत रहने में मदद हो सकती है।
प्रकृति के साथ संबंध बनाने से मन स्थिर रहता है। जिसका मन स्थिर रहता है वह किसी काम के लिए बंधा हुआ नहीं रहता। वह अपने मन से किसी भी काम को पूर्ण करने की उम्मीद रखता है।
प्राकृतिक दृश्यों को देखकर एक व्यक्ति में कसै बदलाव आ सकते हैं?
तनाव में कमी
प्रकृति की गोद में समय बिताने से तनाव के स्तर में कमी आ सकती। मन शांत शांत होने में मदद मिलती है।
सामाजिक संबंधों में सुधार
यदि कोई इंसान शहरों में रहता है और वह मांस का सेवन भी करता है। तो जब वो प्रकृति में पाए जाने वाली विविधताओं को देखता है, पक्षियों को सुनता है, जानवरों को देखकर उनकी करुणा को जान पता है तो उसमें सहानुभूति और सहयोग के लक्षण बढ़ जाते हैं। जो उसे व्यक्ति का मांस छुड़ा भी सकता है।
शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार
तनाव और चिंता को दूर रखते हुए व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार आता है। जब वो प्रकृति को करीब से देखता है।
मानसिक स्वास्थ्य स्वस्थ रखने के लिए क्या किया जा सकता है?
संतुलित आहार
बाहर के खाने को टाल देना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। कई सारे पदार्थ में मिलावट ज्यादा मात्रा में बढ़ रही है जिससे हमारा स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है। इसलिए हमें एक स्वस्थ जीवन के लिए अच्छे आहार की जरूरत है जिसमें सही मात्रा में पोषक तत्व हो।
शारीरिक गतिविधि
आज के इंटरनेट के जमाने में ज्यादातर शारीरिक गतिविधियां कम हो चुकी है। शरीर अगर स्वस्थ नहीं है तो उसका प्रभाव हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है जिसके लिए हमें हर रोज व्यायाम, रोजाना कम से कम एक घंटा तो चलना चाहिए, साइकिलिंग करनी चाहिए। जिससे हमें आलस जैसी समस्याओं से दूर और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखता है।
स्वयं को समय दें
अपने लिए समय निकालें और उन गतिविधियों में शामिल हों जो आपको खुशी देती हैं। खुद के साथ समय बिताने से कई सारे सवालों का समाधान मिल जाता है।
विशेषज्ञों से सहायता
मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करने में करने के लिए जो पेशेवर विशेषज्ञ होते है। उनसे ऐसे कई तरीके हम जान सकते हैं जिससे हमारा मानसिक स्वास्थ्य संतुलित बना रहे।
प्रकृति में समय बिताना
आज कई सारी समस्याएं एक व्यक्ति के जीवन में उत्पन्न होती है उसको पता भी नहीं है कि वह मानसिक स्वास्थ्य के बीमारी से जूझ रहा है उसे शांति की आवश्यकता है मां को स्थिर रखने की आवश्यकता है इंसान का चंचल मन हमेशा भागता रहता है जिंदगी की भाग दौड़ में वह प्रकृति के साथ समय बिताने से वंचित रह जाता है। लेकिन अगर वह नदियां पहाड़ों जंगलों समुद्र पर घूम के आता है पक्षियों जानवरों और अन्य जीवों के जीवन को देखा है तो वह अपने अस्तित्व को भी समझ जाता है प्रकृति में समय बिताने से उसकी निर्णय लेने की क्षमता, एकाग्रता, संवेदना, दूसरों के प्रति सहानुभूति बढ़ जाती है।
शहरों में हरियाली को बढ़ाना
दुनिया भर में शेरों का विस्तार तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण प्रदूषण जनसंख्या में वृद्धि जंगलों का काटना जैव विविधता जैव विविधता का संकट में आना ऐसी कई समस्या है है जो इंसानों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर करती है उसके लिए शहरों में टेरिस गार्डनिंग को बढ़ावा देना चाहिए जो शहरों में घर की छत पर बालकनी में पर आसानी से किया जा सकता है शहरों में बहुत सारे पेड़ पौधों को लगा लगाया जाना चाहिए जिसकी वजह से पक्षियों को किटको को एक सुरक्षित वातावरण निर्माण करने के लिए सहायक हो सकता है उसी के साथ शहरों में सार्वजनिक वाहनों को कम दाम में उपलब्ध करके कई सारे वाहनों को शहर में आने से प्रतिबंध किया जाए ऐसा करने से हमारा स्वास्थ्य और प्रकृति में एक मजबूत रिश्ता बन सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छी प्राकृतिक गतिविधियाँ कौनसी हैं?
जहां पर सबसे ज्यादा पेड़ है, वहां पर चलते रहना, पक्षियों की आवाजें सुनना, बादलों को देखना, जानवरों की हरकतों को समझना, पेड़ों को लगाना, गार्डनिंग करना, किसी जानवर की सहायता करना, किसी पक्षी को दाने खिलाना, नदी झील या सरोवर के पास समय बिताना। इन गतिविधियों को आप अपने दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।ऐसी गतिविधियों से मानसिक स्वास्थ्य संतुलित रहता है।
हर दिन प्रकृति में कितना समय बिताने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है?
इसका कोई सटीक उत्तर नहीं है। यह उस व्यक्ति के ऊपर निर्भर करता है कि वह कितना समय प्रकृति में बिताना चाहता है।
शहरों में रहते हुए प्राकृतिक वातावरण का अनुभव कैसे किया जा सकता है?
शहरों में आप पार्क में घूमने जा सकते हैं। किसी बड़े पेड़ के नीचे बैठकर पक्षियों की आवाज सुन सकते हैं। उनकी गतिविधियों को देख सकते हैं। आप अपने घर में कुत्ता, बिल्ली या किसी और छोटे-मोटे जीव को पाल सकते हैं। आप अपने छत पर कई तरह के पेड़ों को लगा सकते हैं। घर की छत पर पक्षियों के लिए खाना रख सकते हैं, धीरे-धीरे उनके पास जाकर आप उनको उस जगह पर होने की अनुभूति कर सकते हैं। जिससे वह आपको देखकर नहीं भागेंगे और कुछ दिनों के बाद आप उनसे मित्रता भी कर सकते हैं।
मानसिक तनाव कम करने के लिए कौन से प्रकृति-आधारित खेल या गतिविधियाँ की जा सकती हैं?
1.अगर आप ज्यादा ही तनाव में रह रहे हैं और आपको प्रकृति के पास जाना है, तो आप पक्षियों से एवं जानवरों से मित्रता करने का प्रयास कर सकते हैं। उन्हें दाना-पानी रखकर दूर से देख सकते हैं। प्राकृतिक सुंदरता को जानने का प्रयास कर सकते हैं। प्रकृति के हर जीव में विशेषता पाई जाती है। उसे विशेषता को हम पास से देख सकते हैं। जैसे मकड़ी अपना जाल कैसे निर्माण कर रही है। बिल्ली अपने बच्चों को कैसे पाल रही है। वह कितने दिनों में अपने बच्चों का स्थान बदल रही है।
2.समय निकालकर हम किसी एक पक्षी को या जानवर को चुन सकते हैं और वह किस जगह पर पाया जा सकता है। उस जगह पर जाकर उसको देखने का प्रयास कर सकते हैं। जैसे आपकी इलाके में तोता कई सालों से आपने देखा नहीं है तो आप एक दिन निकालकर तोते को देखने के लिए बाहर जा सकते हैं। वह कहां मिल सकता है इस खोज में आपके अंदर उत्सुकता निर्माण होती है। यदि दिन की आखिर तक आपने तोते को देख लिया, तो उसका मजा शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। हाँ,लेकिन तनाव कितना कम हो चुका है इसका जवाब आप दे सकते हैं।
3.किसी पेड़ के नीचे बैठकर आप आंख बंद कीजिए और जमीन पर लेट जाइए। तो आप उस पेड़ की छाया को शरीर के माध्यम से महसूस कर सकते हैं, उस ठंडक का अनुभव कर सकते हैं, जो आपको उस मिट्टी से मिल रही है। पेड़ों की पत्तियाँ और हवा का टकराव जिससे उत्पन्न होने वाली आवाज को आप सुन सकते हैं।
आप कैसे जान सकते हैं कि आपको प्रकृति में समय बिताने की जरूरत है?
आपको जानने की जरूरत नहीं है। हमारे शरीर का निर्माण प्रकृति के माध्यम से ही हुआ है। हमें निरंतर प्रकृति मैं टहलना होगा। अगर आपका शारीरिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो आप जान सकते हैं की आपको प्रकृति के साथ संबंध बनाने की जरूरत है।
क्या आपने कभी सोचा है कि एक दिन की जंगल यात्रा आपके मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बदल सकती है?
जंगल की ताजी हवा, प्राकृतिक आवाजें मन को स्थिर करने में सहायता देती है। जंगलों में जो विविधता पाई जाती है। जिससे जंगल हमें कई जानकारी प्रदान करते है। यदि हमारे जीवन से जुड़ी हुई समस्याओं को सामने रखा जाए और प्रकृति की समस्याओं को सामने रखा जाए, तो हमारी समस्याएं प्रकृति की तुलना में बहुत छोटी है। यदि कोई व्यक्ति यह जानने में सफल होता है, तो उसका मानसिक स्वास्थ्य बदल सकता है।
प्रकृति में पाए जाने वाले जीवों को देखकर आप मानसिक स्वास्थ्य ठीक कर सकते हैं ?
आज दुनिया की 10% आबादी रात को भूखी सोती है। अंदाजा लगाइए 800 करोड़ जनसंख्या है। उसमें से 10% मान लिया जाए तो वह करीब 80 करोड़ का आंकड़ा होता है। । यह हालत है इंसान की तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उन जानवरों, पक्षियों का क्या हो रहा होगा। इंसान की गतिविधियों के कारण कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है। अगर आपको आपकी समस्या इतनी बड़ी लगती है, तो किसी भूखे जानवर के आंखों में देखिए। इंसान के द्वारा किया गया अन्याय उसके आंखों में साफ दिखाई देता है। वह सिर्फ उस कारण को जान नहीं पाता। यदि आपको खाना नसीब हो रहा है,तो आप हर ऊंचाई को पा सकते हैं। हर एक चुनौती का स्वीकार करके आप उसका सामना कर सकते हैं। शिक्षा के माध्यम से आप अपने स्वास्थ्य को, अपनी समस्याओं को सुलझा सकते हैं। उसके पहले आप में यह जानने की काबिलियत होनी चाहिए कि हमारी समस्या क्या वास्तव में समस्या है?