Green house gas emission in hindi : हम सबको ग्रीन हाउस गैस एमिशन के द्वारा जो भी परिवर्तन पृथ्वी के वातावरण में हो चुका है, उसका उच्च तापमान द्वारा अनुभव हम कर रहे हैं। लेकिन सब लोगों को ग्रीन हाउस गैसेस क्या होती है? कैसे पैदा होती है? और उससे पृथ्वी को बचाने के लिए किन तरीकों का उपयोग हमें करना चाहिए? इन सब इन सवालों के हम जवाब देने का हम प्रयास करेंगे।
1.Green house gas emmision क्या है?
Green house gas emmision क्या है उससे पहले आपको यह जानना होगा कि इसमें कौनसी गैसेस मौजूद है, जो पृथ्वी की सतह की गर्मी को बहुत ही ज्यादा मात्रा में बढ़ा रही है-
1.Carbon Dioxide( जीवाश्म ईंधन, कोयला जलाने एवं वनों की कटाई और औद्योगिक प्रक्रियाओं से उत्सर्जित होता है)
2.Methene( कृषि, पशुपालन, खाना सडना, जीवाश्म ईंधन, चावल की खेती)
3.Water vapour(नदियाँ, महासागर, झीलें,तालाब आदी…)
3.Nitrous Oxide (कृषि, उद्योग और जीवाश्म ईंधन का जलना)
5.Sulphur Hexafluoride -( मैग्नीशियम उत्पादन, विद्युत ऊर्जा क्षेत्र से, विद्युत उपकरणों के नियमित सर्विसिंग)
6.Perfluorocarbon (एल्युमिनियम उत्पादक, इलेक्ट्रॉनिक उद्योग, रासायनिक उद्योग)
7.Hydrofluorocarbon (रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग, हायर सप्रेशन सिस्टम, aerosol propellants)
जब यह गैसेस पृथ्वी के वायुमंडल में जाती है तो उनके Molecules सूर्य कि गर्मी को अपने अंदर कैद करते है और इसी के वजह से जब रात को सुर्य की गर्मी नहीं होती है, तो यह इन गैसों के द्वारा अवशोषित (absorb) की गई सुर्य की गर्मी पृथ्वी का तापमान बनाए रखने के लिए मदद करती है। जो कि पृथ्वी की सतह पर मौजूद पेड़, पौधे, जीव, जंतु आदि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
उदाहरण के लिए आप पॉलीहाउस ले सकते हैं। जिसमें सूरज की रोशनी अंदर आती है और अंदर के वातावरण को गर्म करती है लेकिन जब सूरज की रोशनी चली जाती है तब भी अंदर का तापमान गर्म ही रहता है। जो बे-मौसम फल और सब्जियां उगाने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
हालांकि मानव द्वारा निर्मित ग्रीनहाउस गैसेस बहुत ज्यादा मात्रा में पृथ्वी के वायुमंडल में छोड़ी जा रही है। जो कि पृथ्वी के वातावरण के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। जिससे अत्यधिक गर्मी, सुखा,बाढ,ज्यादा बारिश, कम बारिश ऐसी कई सारी प्राकृतिक घटनाएं हो रही है। तापमान के बढ़ जाने से जंगलों में आग की घटनाओं का बढ़ जाना,उनमें कहीं तरह के जानवरों का मर जाना, कई तरह के बीमारीयों का उत्सर्जन होना आम बात हो चुकी है। ग्रीनहाउस गैसेस बनने का सबसे बड़ा कारण है इंसानों की जनसंख्या और उसी जनसंख्या द्वारा किया जाने वाला संसाधनों का उपभोग है। उपभोग के कारण बहुत बड़ी मात्रा में Carbon Dioxide, Methane,Nitrous Oxide जैसी ग्रीनहाउस गैसेस उत्सर्जित होती है।
अगर ग्रीनहाउस गैसेस गर्मी को (absorb)नहीं करती तो, पृथ्वी की सतह का तापमान बहुत ही तेजी से गिर सकता है। यह तापमान शून्य डिग्री से नीचे जा सकता है। लेकिन प्राकृतिक संरचनाओं ने तापमान को बनाए रखने के लिए पहले से ही ग्रीनहाउस गैसेस की मात्रा तय की है। मानव निर्मित ग्रीनहाउस गैसेस बहुत तेजी से वायुमंडल में छोड़ने से यह गैसेस गर्मी को ज्यादा अवशोषित करती है और पृथ्वी का वायुमंडल इन गैसों को बाहर निकलने से रोकता है। इसके परिणाम स्वरूप और शिक्षित की गई गर्मी पृथ्वी की सतह पर वापस भेजी जाती हैं, जिससे पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ता है।
2.Green house Gas उत्सर्जन किस क्षेत्र में है?
ग्रीनहाउस गैसेस का उत्सर्जन आज के समय में हर क्षेत्र, उद्योग से आ रहा है। एक ही क्षेत्र से अलग-अलग प्रकार की गैसें वातावरण में छोड़ी जाती है। नीचे दिखाई गई टेबल का उपयोग करके आप इस बात को समझने का प्रयास किजीए।
Sr.No | Sector’s | Use | Percentage (%) | Gases |
---|---|---|---|---|
1. | Electricity and Heat (31.8%) | Residential Buildings | 11.5% | |
Commercial Buildings | 6.5% | |||
Agriculture & Fishing Energy Use | 1.9% | |||
Unallocated Fuel Combustion | 6.9% | |||
Iron and steel | 6.1% | carbon Dioxide(74.1%) | ||
Chemical and petrochemical | 6.1% | |||
Non-metallic minerals | 3.1% | |||
Non-ferrous metals | 1.8% | |||
Machinery | 1.5% | |||
2. | Buildings(6.2%) | Residential Buildings, Commercial Buildings | ||
3. | Manufacturing and Construction (12.7%) | Iron and steel, Machinery | ||
4. | Transportation (14.3%) | Road | 12.6% | |
Air | 2.1% | |||
Shipping | 1.8% | |||
5. | Industrial Processes(6.1%) | Cement | 3.2% | |
Other | 2.9% | |||
6. | Agriculture(11.6%) | Livestock & Manure | 5.8% | Nitrous Oxide (6.2%) |
Agriculture Soils | 4.1% | Methane (17.2%) | ||
7. | Land Use Change and Forestry (3.3%) | Drained organic soil | 1.5% | F-Gas(2.4%) |
8. | Waste(3.3%) | Landfills | 2% | |
Waste water | 1.3% | |||
9. | International Bunker (2.6%) | |||
10. | Fugitive Emissions (6.8%) | Vented | 4.4% |
Table of Contents
3.Green house gases के उत्सर्जन को किस प्रकार रोका जा सकता है?
1.जनसंख्या वृद्धि
बढ़ती जनसंख्या के साथ ऊर्जा, परिवहन, और कृषि की मांग भी बढ़ती है, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि होती है। अधिक लोग अधिक संसाधनों का उपयोग करते हैं। अगर किसी देश की जनसंख्या हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो उस देश में संसाधनों की कमी के कारण गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इतनी बड़ी जनसंख्या को खाना, पीना, परिवहन इसके लिए बड़े मात्रा में पर्यावरण को हानि पहुंचती है,जंगल काटने पड़ते हैं। पर्यावरण के साथ-साथ देश की आर्थिक स्थिति को भी संकट में लाने का काम करती है। ज्यादा जनसंख्या वाले देशों में कचरे का व्यवस्थापन एक बड़ी चुनौती का काम होता है।
2.उपभोग
उच्च उपभोग स्तर, विशेष रूप से विकसित देशों में, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को बढ़ाता है। अधिक उपभोग का मतलब है अधिक उत्पादन, परिवहन, और अपशिष्ट, जो सभी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं। कई देशों में उपभोग के लिए संसाधनों को जुटाना बहुत ही मुश्किल होता है। आवश्कताओं के अनुसार हमे चीजों का उपयोग करना चाहिए।
3.शाकाहारी भोजन
दुनिया में सबसे ज्यादा लोग मांसाहार करते हैं। इसकी वजह से बहुत ही बड़ी संख्या में पशुपालन किया जाता है। इंसानों द्वारा मांस खाए जाने वाली प्रजातियों को ब्रीडिंग के माध्यम से बढ़ावा दिया जाता है। इन पशुओं से 1 किलो मांस का निर्माण करने के लिए 10 किलो तक खाना चाहिए होता है और उसके लिए बहुत सारी जमीन की आवश्यकता होती है। जिसके लिए जंगलों की कटाई की जाती है। इस पशुपालन से मेथेन गैस का उत्सर्जन भी बहुत बड़ी मात्रा में होता है। जिससे यह तापमान में बढ़ोतरी के लिए कारण बनता है। पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को शाकाहारी होना होगा जब शाकाहारी भोजन खाएंगे तभी ग्रीन हाउस गैसेस के उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है
ग्रीनहाउस गैसेस के निर्माण में मांस उद्योग का बहुत ही बड़ा हाथ है। सबसे ज्यादा मांस का सेवन अमेरिका द्वारा किया जाता है। वहां पर एक व्यक्ति औसतन 120 किलो मांस हर साल खाता है। मांस उद्योग से मीथेन गैस का निर्माण होता है यह कहना गलत नहीं होगा।
4.शिक्षा और जागरूकता
शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है ग्रीनहाउस गैसेस को रोकने के लिए। जिस प्रकार से आज पर्यावरण में बदलाव आ चुका है फिर भी इसके बारे में शिक्षा और जागरुकता बहुत ही कम दिखाई दे रही है। शिक्षा के माध्यम से ही बड़े-बड़े आविष्कारों का निर्माण हुआ है तो उसी शिक्षा के माध्यम से ही उन आविष्कारों के द्वारा निर्मित हुई ग्रीनहाउस गैसेस को रोका जा सकता है। लेकिन उसके पहले हमें यह सोचना होगा कि हम हमारे ग्रह को बचाने के लिए कितना बडा कदम उठा सकते हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण करोड़ों लोग प्रभावित हो चुके हैं लेकिन फिर भी पर्यावरण की प्रति जागरूकता का अभाव कई देशों में दिखाई दे रहा है। हमें पर्यावरण पर शिक्षा और जागरूकता को बड़े स्तर पर बढ़ाना होगा।
5.जलवायु परिवर्तन नीतियाँ
जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कई तरह के समझौते किए गए हैं लेकिन उसका पालन किसी भी देश के सरकार के माध्यम से आज तक होता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है। अगर अगर जलवायु परिवर्तन की नीतियों का पालन नहीं किया गया तो आने वाली समय में पृथ्वी का ज्यादातर भु-भाग समंदर में समा जाएगा। जिससे आने वाले समय में कई सारी संसाधनों की समस्या हो सकती है।
6.नवीकरणीय उर्जा स्त्रोतों का उपयोग
इसमें सूर्य, हवा, जल से ऊर्जा लेकर बिजली का उत्पादन किया जाता है। जो जीवाश्म ईंधन की तुलना में ग्रीनहाउस गैसेस का उत्सर्जन बहुत ही कम मात्रा में करते हैं हालांकि इन्हें स्थापित करने में जिन संसाधनों की आवश्यकता है उनसे ग्रीनहाउस गैसें निकलती है। लेकिन अगर लंबे समय की बात करें तो यह काफी मददगार साबित होंगे। आज भी पूरी दुनिया में ज्यादा मात्रा में कि बिजली का निर्माण से होता है
7.परिवहन वाहनों में सुधार
सार्वजनिक परिवहन का उपयोग, इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग, और साइकिल चलाना या पैदल चलना। इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम होती है और carbon dioxide उत्सर्जन में कमी आती है। कई सारे देशों में सार्वजनिक परिवहन मुफ्त होता है। जिससे ज्यादातर लोग सार्वजनिक वाहनों से ही आवागमन करते है। इस वजह से उन देशों में ट्रैफिक की समस्या भी नहीं रहती और रास्तों पर ज्यादा गाड़ियां ना होने की वजह से जीवाश्म ईंधन से जलने वाली गैसें भी नहीं निकलती।
8.कृषि क्षेत्र में सुधार
कृषि क्षेत्र में जैविक खाद का उपयोग करना आवश्यक है और जैविक खेती की ओर बढ़ के हमें अन्न की सुरक्षा में भी सुधार लाना होगा। जो की रासायनिक खतों से हमारे जीवन के साथ-साथ पृथ्वी को भी खराब करती है।
9.वनों का संरक्षण और पुनर्वनीकरण
उपभोग और जनसंख्या के वृद्धि के कारण वनों की कटाई बहुत तेजी से बढ़ रही है। इससे कई सारे जानवर विलुप्त हो रहे हैं और प्रकृति की जो फूड साइकिल है उसको इंसान प्रभावित कर रहा है। अगर वनों का संरक्षण करके यदि ज्यादा मात्रा में पेड़ लगाया जाए तो वातावरण में जो कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है उसे अवशोषित करने के लिए मदद हो सकती है।
10.कचरा व्यवस्थापन
पृथ्वी पर इंसानों की जनसंख्या तो बढ़ चुकी है और आगे चलकर कई सारे संसाधनों की कमी नजर आने वाली है तो हमें सबसे ज्यादा रीसाइक्लिंग पर लक्ष्य केंद्रित करना चाहिए। जैविक कचरे का व्यवस्थापन करने से कंपोस्टिंग को बढ़ावा मिल सकता है और वह कंपोस्टिंग हानिकारक रसायनों की जगह लेने में मददगार साबित हो सकते हैं। कंपोस्टिंग करने से methane gas उत्सर्जन में कमी हो सकती है।